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यह रहे सफलता (Success) के बारे में 10 बेहतरीन प्रेरणादायक कथन (Quotes in Hindi) जो आपके अंदर जोश और आत्मविश्वास भर देंगे:

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✅ सफलता पर 10 प्रेरणादायक उद्धरण: 1. "सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।" — ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2. "सफलता उन्हीं को मिलती है जो समय की कद्र करते हैं।" 3. "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" --हरिवंश राय बच्चन 4. "अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो दुनिया की कोई ताकत आपको हार नहीं सकती।" 5. "सफलता का रास्ता मेहनत से होकर जाता है, कोई शॉर्टकट नहीं होता।" 6. "हार मत मानो, महान चीजें समय लेती हैं।" 7. "जो बदलता है वही आगे बढ़ता है।" 8. "सफल लोग कोई अलग काम नहीं करते, वो काम को अलग तरीके से करते हैं।" — शिव खेरा 9. "आज की मेहनत, कल की सफलता तय करती है।" 10. "जब आप ठान लेते हैं, तो नामुमकिन कुछ भी नहीं।"

🕉️ श्री बजरंग बाण (शुद्ध वर्तनी सहित)

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मिलते हैं ये आध्यात्मिक लाभ 1. बजरंग बाण का पाठ करने से सभी रोग दूर होते हैं। 2. सभी काम में सफलता मिलती है। 3. भय से छुटकारा मिलता है। 4. हनुमान जी प्रसन्न प्रसन्न होते हैं। 5. जीवन में सफलता प्राप्त होती है। 6. मानसिक शांति मिलती है। ||दोहा|| निशचय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ चौपाई जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ जन के काज बिलंब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा । सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥ आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुरलोका ॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा । सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ॥ अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ॥ लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥ जय जय लखन प्राण के दाता । आतुर ह्वै दुःख करहु निपाता ॥ जै गिरिधर जै जै सुख सागर । सुर-समूह-समरथ भटनागर ॥ ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥ गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महारा...

मत्स्य पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है। यह एक सांहितिक (encyclopedic) ग्रंथ है, जिसमें धर्म, पुरातत्व, खगोलशास्त्र, भूगोल, वास्तुशास्त्र, तीर्थों का वर्णन, और पौराणिक कथाएँ मिलती हैं।

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🔱 संक्षिप्त विवरण: मत्स्य पुराण नाम का अर्थ: "मत्स्य" का अर्थ है मछली, और यह पुराण भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार (मत्स्य = मछली रूप) पर आधारित है। मुख्य विषय: यह पुराण भगवान विष्णु द्वारा मछली का रूप धारण कर मनु (प्रथम मानव) को प्रलय से बचाने और धर्म-ज्ञान प्रदान करने की कथा से आरंभ होता है। 📜 मुख्य विषयवस्तु: मत्स्य अवतार की कथा: भगवान विष्णु एक छोटी मछली के रूप में प्रकट होकर मनु को प्रलय के बारे में चेतावनी देते हैं, और सप्तऋषियों व जीवों को नौका द्वारा बचाते हैं। सृष्टि की उत्पत्ति: ब्रह्मा, विष्णु, शिव और अन्य देवताओं की उत्पत्ति व कार्य। धर्म और आचार: दान, व्रत, तीर्थयात्रा, पिंडदान, श्राद्ध और विभिन्न धार्मिक विधियों का वर्णन। वास्तुशास्त्र: मंदिर निर्माण, मूर्ति-स्थापना, नगर नियोजन और वास्तु सिद्धांतों का गहन वर्णन। तीर्थों का विवरण: भारत के विभिन्न पवित्र तीर्थ स्थलों का महत्व और यात्रा-विधान। राजधर्म और नीतिशास्त्र: एक राजा के कर्तव्य, राजनीति के सिद्धांत और आदर्श शासन प्रणाली का वर्णन। ज्योतिष और कालगणना : नक्षत्र, तिथियों, योग, ग्रहों...

🕉️ वेद और पुराण में अंतर:

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| क्रम | विषय | **वेद** | **पुराण** | | | | 1️⃣| **अर्थ | “ज्ञान” या “विद्या” | “प्राचीन कथा” या “इतिहास” | | 2️⃣ | **संरचना | चार वेद: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद | 18 महापुराण + 18 उपपुराण (जैसे विष्णु पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण आ 1000 CE के बीच) | 3️⃣ | **काल (रचना समय)** | लगभग 1500–1000 BCE (सबसे प्राचीन) | बाद के युग में रचे गए (300 BCE से 1000 CE के बीच) | | 4️⃣ | **लेखक** | ऋषियों द्वारा श्रुति के रूप में प्राप्त | व्यास जी ने संकलन किया | | 5️⃣ | **प्रकृति** | श्रुति (सीधा ईश्वर से प्राप्त ज्ञान) | स्मृति (मानवों द्वारा लिखा गया ज्ञान) | | 6️⃣ | **मुख्य विषय** | यज्ञ, मंत्र, देवताओं की स्तुति, दर्शन, तपस्या | धर्म, इतिहास, पुरानी कथाएं, अवतार, सृष्टि की उत्पत्ति, लोकनीति | | 7️⃣ | **भाषा** | वैदिक संस्कृत (कठिन) | लौकिक संस्कृत (थोड़ी सरल) | | 8️⃣ | **उद्देश्य** | आध्यात्मिक ज्ञान व यज्ञ-विधि | जनता को नैतिकता, इतिहास व भक्ति का ज्ञान देना | 🔹 वेद क्या हैं? ...

भारत में खेत नापने के लिए प्रयोग होने वाले मात्रक

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भारत में खेत नापने के लिए प्रयोग होने वाले मात्रक ****************************************** भारत के अधिकांश भागो में खेतों के नाप के लिए गज, हाथ, गट्ठा, जरीब, बिस्सा,बिस्वॉनसी, उनवांनसी, कचवानसी, बीधा, किल्ला, एकड, हेक्टेअर, मरला, कनाल आदि मात्रकों का प्रयोग होता हैं। इनके मान पूरे देश में अलग अलग हैं। अगर इतिहास में झांके तो अकबर के शासनकाल के 1571 ई. से 1580 ई. (10 वर्षों) के आंकड़ों के आधार पर भू-राजस्व का औसत निकालकर ‘आइन-ए-दहसाला’ लागू किया गया। इस प्रणाली के अन्तर्गत राजा टोडरमल ने अलग-अलग फ़सलों पर नक़द के रूप में वसूल किये जाने वाला लगान का 1571 से ई. के मध्य क़रीब 10 वर्ष का औसत निकालकर, उस औसत का एक-तिहाई भू-राजस्व के रूप में निश्चित किया। अकबर ने अपने शासन काल के 31वें वर्ष लगभग 1587 ई. में भूमि की पैमाइश हेतु पुरानी मानक ईकाई सन की रस्सी से निर्मित ‘सिकन्दरी गज़’ के स्थान पर ‘इलाही गज़’ का प्रयोग आरम्भ किया। यह गज़ लगभग 41 अंगुल या 33 इंच के बराबर होता था। वह ‘तनब’ तम्बू की रस्सी एवं ‘जरीब’ लोहे की कड़ियों से जुड़ी हुई बाँस द्वारा निर्मित होती थी। शाहजहाँ के काल म...

Success Mantra

Success is not that love whatever you want to become in your but .....it is .. love that thing which you've achieved in your life ..