भोलेनाथ शिव शंकर जी की सावन कहानी तथा सावन सोमवार व्रत की महिमा
सावन कथा: शिव भक्ति और समुद्र मंथन का अमृत
एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। विष के प्रभाव से उनका शरीर तप्त हो उठा।
देवताओं ने शिव जी को शीतलता प्रदान करने के लिए सावन के महीने में उन पर जलाभिषेक किया। इससे प्रसन्न होकर शिव जी ने देवताओं को आशीर्वाद दिया और कहा कि सावन में जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक मेरी पूजा-अर्चना करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
सावन सोमवार व्रत की महिमा
सावन के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में माता पार्वती ने भी शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप शिव जी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
सावन में शिव आराधना के लाभ
सावन में शिव जी की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं।
मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
संतान, धन और सुख-शांति की वृद्धि होती है।
🕉️ महामृत्युंजय मंत्र का जाप:
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥"
सावन में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक, शिव चालीसा पाठ और ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी होता है।
🌿 जय भोले नाथ! हर-हर महादेव! 🌿
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