हरतालिका तीज का मुर्हुत और कैसे मनाएँ व इसका महत्व एवं कथा वर्णन

हिंदू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज वर्ष 2025 में मंगलवार, 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इसे भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है। 
हरतालिका तीज



  भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है।

साल 2025 में यह व्रत मंगलवार, 26 अगस्त को रखा जाएगा।

  • तृतीया तिथि आरंभ: 25 अगस्त 2025, दोपहर 12:34 बजे

  • तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025, दोपहर 1:54 बजे

  • पूजन का शुभ समय: 26 अगस्त 2025, सुबह 5:56 से 8:31 बजे तक


हरतालिका तीज का महत्व

यह व्रत मुख्य रूप से देवी पार्वती और भगवान शिव की भक्ति से जुड़ा है।

  1. पौराणिक कथा
    कहा जाता है कि जब हिमालय जी ने पार्वती जी का विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया, तब पार्वती जी अपनी सखियों के सहारे जंगल चली गईं और कठोर तपस्या की। उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह किया।
    इसी स्मृति में इस दिन को हरतालिका तीज कहा जाता है – "हरत" यानी ले जाना और "आलिका" यानी सखी।

  2. व्रत का महत्व

  • विवाहित महिलाएँ यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए करती हैं।

  • अविवाहित कन्याएँ यह व्रत अच्छे और योग्य जीवनसाथी की कामना से करती हैं।

  • व्रत सामान्यतः निर्जला उपवास (बिना भोजन और पानी) रखा जाता है।

  1. सांस्कृतिक दृष्टि से

  • यह त्योहार महिलाओं की शक्ति, त्याग और समर्पण का प्रतीक है।

  • इस दिन महिलाएँ श्रृंगार करती हैं, मेहँदी लगाती हैं, गीत–भजन गाती हैं और सामूहिक रूप से कथा सुनती हैं।

  • यह पर्व परिवार और समाज में प्रेम, एकता और धार्मिक आस्था को मजबूत करता है।


संक्षेप में

  • तिथि: 26 अगस्त 2025 (मंगलवार)

  • उद्देश्य: पति की दीर्घायु और अविवाहितों को योग्य वर की प्राप्ति

  • देवता: भगवान शिव और माता पार्वती

  • महत्व: भक्ति, त्याग और वैवाहिक जीवन की समृद्धि का प्रतीक

 

हरतालिका तीज कैसे मनाएँ?

🌅 1. व्रत की शुरुआत

  • महिलाएँ तीज के एक दिन पहले संध्या में निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं।

  • व्रत का नियम है कि दिनभर ना खाना, ना पानी पीना

  • अगर स्वास्थ्य अनुमति न दे तो फलाहार कर सकते हैं।


🪔 2. पूजन की तैयारी

  • पूजा के लिए घर में या मंदिर में मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा (या बालू/रेत से) बनाई जाती है।

  • चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर प्रतिमा स्थापित करें।

  • कलश स्थापना भी की जाती है।

पूजा सामग्री (मुख्य)

  • मिट्टी/रेत से बनी प्रतिमाएँ (शिव–पार्वती, गणेशजी)

  • कलश, अक्षत (चावल), गंगाजल

  • बेलपत्र, धतूरा, भांग

  • सुहाग की सामग्री (सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहँदी, कुमकुम)

  • फल, फूल, मिठाई, पान, सुपारी

  • दीपक और धूपबत्ती


🙏 3. पूजन विधि

  1. सबसे पहले गणेशजी का आवाहन करके पूजा करें।

  2. इसके बाद शिव–पार्वती जी को जल, गंगाजल, बेलपत्र, फल-फूल अर्पित करें।

  3. महिलाएँ श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित करती हैं और पार्वती जी को "सुहाग की देवी" मानकर पूजन करती हैं।

  4. कथा सुनना और सुनाना अनिवार्य माना गया है।

  5. रात्रि जागरण भी किया जाता है – भजन, कीर्तन और पूजा के साथ।


🌄 4. व्रत का समापन

  • अगली सुबह पूजा के बाद दान–पुण्य करके व्रत खोला जाता है।

  • महिलाएँ प्रसाद और जल ग्रहण करती हैं।

  • कुछ परंपराओं में पति से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ने की प्रथा भी है।


हरतालिका तीज के दौरान विशेष परंपराएँ

  • महिलाएँ सुहाग की 16 श्रृंगार करती हैं।

  • मेहँदी और नई साड़ी पहनकर समूह में गीत–भजन गाती हैं।

  • तीज के दिन झूला झूलना, लोकगीत गाना और नृत्य करना भी शुभ माना जाता है।

🌸 हरतालिका तीज व्रत कथा 🌸

हरतालिका तीज


बहुत समय पहले हिमालय की पुत्री पार्वती जी ने भगवान शिव को अपना पति बनाने का संकल्प लिया। छोटी उम्र से ही वे शिवजी की आराधना करने लगीं।

लेकिन जब पार्वती जी बड़ी हुईं, तब हिमालय ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का निर्णय लिया। पार्वती जी इस बात से बहुत दुखी हुईं, क्योंकि उनका मन तो केवल शिवजी को पाने में ही था।

इस स्थिति में पार्वती जी की सखियों ने उनका साथ दिया। वे पार्वती जी को पिता के घर से निकालकर घने जंगल में ले गईं। वहाँ पार्वती जी ने कठोर तपस्या शुरू की – न भोजन, न पानी, केवल भगवान शिव का ध्यान।

पार्वती जी की भक्ति और तपस्या देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने प्रकट होकर पार्वती जी से विवाह करने का वचन दिया। बाद में धूमधाम से भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ।


🌼 कथा का सार

  • इस व्रत की शुरुआत इसी घटना की याद में हुई।

  • "हरतालिका" शब्द का अर्थ है – सखी द्वारा हरण करके ले जाना। क्योंकि पार्वती जी की सहेलियाँ उन्हें घर से लेकर तपस्या स्थल तक गई थीं।

  • इसलिए इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।

  • ऐसा करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र मिलती है।

  • अविवाहित कन्याओं को मनचाहा और योग्य जीवनसाथी मिलता है।


🌸 विशेष संदेश

हरतालिका तीज की कथा हमें यह सिखाती है कि
👉 सच्ची भक्ति और दृढ़ निश्चय से कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है।
👉 पति–पत्नी का रिश्ता समर्पण और विश्वास पर आधारित होता है।
👉 स्त्री–शक्ति का त्याग और तपस्या संसार को संतुलित रखती है।

हरतालिका तीज 2025



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